26 जनवरी 2001 मुंबई में सुबह के 500 बजे
हजारों लोग सड़क पे उतर आए थे पुलिस की
सभी कोशिशों के बाद भी यह लोग बैरिकेट्स
हटाकर और दीवार फांद कर एक खास बिल्डिंग
में घुसना चाहते थे यह खास बिल्डिंग थी
इंडिया की फेवरेट शॉपिंग डेस्टिनेशन बिग
बाजार उस दिन बिग बाजार में सबसे सस्ते
दिन नाम की मेगा सेल चल रही थी और किशोर
बियानी के बिग बाजार ने ₹ करोड़ कमाए थे
केवल इस एक दिन में लेकिन अगले 20 सालों
में ऐसा क्या हुआ कि इसी बिग बाजार की हर
एक स्टोर में ताला लग गया आइए जानते हैं
इस वीडियो में कहानी की शुरुआत होती है
1981 में किशोर बियानी कॉलेज के फाइनल ईयर
में थे और उनके फादर चाहते थे कि वो
फैमिली बिजनेस जवाइन करें लेकिन वो अपनी
फैमिली बिजनेस जवाइन करके खुद को लिमिट
नहीं करना चाहते थे वो लाइफ में कुछ बहुत
बड़ा बिल्ड करना चाहते थे इसी दौरान किशोर
बियानी ने देखा कि उनके एक कॉलेज फ्रेंड
ने काफी यूनिक फाइबर से बने फैशनेबल
ट्राउजर्स पहने हैं यह स्टोन वॉश फैब्रिक
था और उन्हें इसमें काफी पोटेंशियल दिखा
उन्होंने तुरंत जुपिटर मिल से स्टोन वॉश
फैब्रिक का 200 मीटर का क्लॉथ खरीद लिया
और शहर के गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स को
बेचने लगे अगले छ महीनों में ही उन्होंने
लाखों का बिजनेस कर लिया था और यहीं से
उनकी
एंटरप्रेन्योर बियानी ना केवल खुद के
ब्रांड के फैब्रिक्स बेच रहे थे बल्कि
उन्होंने रेडीमेड ट्राउजर्स बेचने के लिए
खुद का स्टोर भी खोल लिया था और उसका नाम
रखा था पतलून 2 साल बाद उन्होंने ₹ लाख
लगाकर मेंस वियर कंपनी की शुरुआत की
जिसमें उन्होंने खुद ही ट्राउजर
मैन्युफैक्चरिंग स्टार्ट कर दी और अपनी नई
ट्राउजर ब्रांड का नाम रखा पैंटल पैंटल
नाम के पीछे उनका आईडिया था पतलून वर्ल्ड
को ट्रेंडी और मॉडर्न बनाना इसीलिए पतलून
बन गया पैंटल और आगे चलके कंपनी का नाम भी
पैंटल रिटेल में बदल दिया गया पैंटल के
ट्राउजर्स का डिजाइन काफी फ्यूचरिस्टिक था
जैसे उनकी एक ट्राउजर में जिप्पर के ऊपर
तीन बटंस थी और ट्राउजर्स काफी हाई वेस्ट
था ऐसे ही मॉडर्न डिजाइंस के चलते पैटल के
ट्राउजर्स काफी पॉपुलर हो गए 1994 तक पूरे
इंडिया में पैंटल के 72 फ्रेंचाइजर खुल
चुके थे और उन्होंने ट्राउजर्स के साथ-साथ
शर्ट जींस टाई और सॉक्स जैसे प्रोडक्ट्स
भी लॉन्च कर दिए थे उसी दौरान किशोर
बियानी ने देखा कि इंडिया में लार्ज
फॉर्मेट रिटेलिंग का ट्रेंड बढ़ते जा रहा
है बेसिकली शॉपर टॉप जैसी बड़ी रिटेल
स्टोर्स खुल रही हैं जो साइज वैरायटी और
क्वांटिटी में एक नॉर्मल शोरूम से कई गुना
बड़ी होती है इसीलिए उन्होंने भी कोलकाता
में एटलस की पहली लार्ज फॉर्मेट रिटेल
स्टोर खोली ये स्टोर 10000 स्क्वा फीट की
थी और उस समय पूरे कोलकाता की सबसे बड़ी
स्टोर थी उन्होंने स्टोर में विजुअल
मर्चेंडाइजिंग का कांसेप्ट भी लाया जिसमें
स्टोर के कलर्स साइंस लाइटिंग और लुक एंड
फील के थ्रू कस्टमर से कम्युनिकेट किया
जाता है और अल्टीमेटली एक प्लेजट शॉपिंग
एक्सपीरियंस दिया जाता है आल्सो इस स्टोर
में मेंस वियर के साथ साथ वुमेन और चाइल्ड
वियर भी लॉन्च कर दिया गया था सभी को लगा
था कि गारमेंट्स के लिए इतनी बड़ी शॉप को
खोलना एक बहुत बड़ी गलती है लेकिन पहले ही
दिन वहां इतनी भीड़ आई कि सभी के ओपिनियन
गलत साबित हुए इस अर्ली सक्सेस को देखते
हुए 1999 तक पैंटल के 13 मेगा स्टोर्स खुल
चुके थे और अब किशोर बियानी इंडिया के
फैशन रिटेल टाइकून बन चुके थे लेकिन वो
अभी रुकने वाले नहीं थे उन्होंने देखा कि
कस्टमर अपने टोटल एक्सपेंडिचर यानी अपने
टोटल वॉलेट का केवल 8 पर ही क्लोथिंग में
खर्च करते हैं और अगर उन्हें कस्टमर का 50
पर वॉलेट शेयर कैप्चर करना है तो उन्हें
क्लोथ्स के अलावा बाकी आइटम्स में भी
डायवर्सिफाई करना होगा इसी दौरान किशोर
बियानी ने चेन्नई की सरावना स्टोर को
विजिट किया यह स्टोर 25 साल पुरानी थी
पांच फ्लोर्स थे और यहां क्लोथ्स टॉयज
ज्वेलरी अप्लायंसेज और ग्रोसरीज जैसे हर
आइटम मिलते थे सरावना का मॉडल था कम
प्रॉफिट मार्जिन में बहुत ज्यादा सेल्स
करना और किशोर बियानी के एस्टिमेट्स के
अकॉर्डिंग ये एक स्टोर साल में 200 करोड़
की सेल्स करती थी उन्होंने स्टोर को डीप
स्टडी किया और इसी से इंस्पिरेशन लेके खुद
का हाइपर मार्केट स्टार्ट करने का का
फैसला किया और यही हाइपर मार्केट आगे जाके
बना बिग बाजार एक सक्सेसफुल हाइपर मार्केट
बनाने से पहले किशोर बियानी ने इंडिया के
लोकल बाजारों को डीप स्टडी किया उन्होंने
देखा कि एक एवरेज इंडियन कंज्यूमर की
साइकोलॉजी ये थी कि जो मॉडर्न और हाईफाई
दिखने वाली शॉप्स होती हैं वो एक्सपेंसिव
होती हैं जिस कारण एक एवरेज कस्टमर लोकल
बाजारों में शॉपिंग करने में ही कंफर्टेबल
महसूस करता था जहां शॉप और शॉपकीपर दोनों
ही काफी सिंपल होते थे इसीलिए किशोर
बियानी ने अपने हाइपर मार्केट को नाम दिया
बिग बाजार ताकि बाजार सुनकर लोग उससे
इंस्टेंट कनेक्ट करें उन्होंने बिग बाजार
स्टोर्स को इस तरह डिजाइन किया कि वो एक
बिल्डिंग में मल्टीपल शॉप्स का कॉमिनेशन
लगे जैसा कि एक बाजार में होता है आल्सो
उनका मानना था कि सेल्समैन कभी भी कस्टमर
से ज्यादा स्मार्ट नहीं लगना चाहिए इसीलिए
उन्होंने ऐसे सेल्समैन हायर किए जिसे एक
कॉमन मैन इजली अप्रोच कर सके और इन
सेल्समैन की यूनिफॉर्म भी काफी सिंपल रखी
फॉर एग्जांपल बिग बाजार के सेल्समैन कभी
भी टाई नहीं पहनते थे फाइनली बिग बाजार का
मेन आईडिया था कि कस्टमर को यहां सबसे
सस्ता और सबसे अच्छा प्रोडक्ट मिले इन्हीं
स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखते हुए 2001
में कोलकाता बेंगलुरु और हैदराबाद में बिग
बाजार की पहली तीन स्टोर्स खुली पैलस की
तरह ये स्टोर्स भी काफी सक्सेसफुल हो गई
इतनी सक्सेसफुल कि अगले कुछ सालों में
पूरे इंडिया में 100 बिग बाजार स्टोर्स
खुल चुकी थी लेकिन किशोर बियानी के दिमाग
में इससे भी कुछ बहुत बड़ा बिल्ड करने के
प्लांस चल रहे थे उन्होंने एक रिसर्च में
देखा कि एक एवरेज कस्टमर एक शॉपिंग मॉल के
अंदर मैक्सिम चार से पांच शॉप्स में विजिट
करता है जिसके बाद थकान के कारण वह किसी
और शॉप में जाना नहीं चाहता इसीलिए किशोर
बियानी ने एक ऐसे मॉल के बारे में सोचा
जिसमें शॉप्स के बीच में कोई दीवारें ही
ना हो इस कांसेप्ट में कस्टमर को एक ही
बार में मल्टीपल प्रोडक्ट्स और ब्रांड का
एक्सपोजर मिलेगा और उसे बार-बार स्टोर के
अंदर और बाहर नहीं जाना पड़ेगा साथ ही साथ
किशोर इस मॉल को एक डेस्टिनेशन मॉल बनाना
चाहते थे मतलब एक ऐसा मॉल जो केवल रूटीन
शॉपिंग करने की जगह ना हो बल्कि अपने आप
में सिटी का एक मेजर अट्रैक्शन हो और यह
विजिटर्स को फूड शॉपिंग एंटरटेनमेंट और
स्पेशलाइज्ड अट्रैक्शंस सब कुछ ऑफर करें
उन्होंने अपने इस नए मॉल के कांसेप्ट को
नाम दिया सेंट्रल और 2004 में बेंगलुरु
में 120000 स्क्वा फीट की स्पेस में खुला
पहला सेंट्रल मॉल इस मॉल में अपैरल
फुटवेयर एक्सेसरीज होम फर्निशिंग म्यूजिक
और बुक्स की 300 से ज्यादा ब्रांड्स थी
साथ में कॉफी शॉप्स फूड कोर्ट्स
रेस्टोरेंट्स और पब्स भी थे लोग यहां मूवी
कंसर्ट और इवन ट्रेवलिंग के लिए टिकट्स
बुक कर सकते थे देखते ही देखते सेंट्रल
मॉल बेंगलुरु का मेजर अट्रैक्शन बन गया और
इसे देखते हुए हैदराबाद पुणे और कोलकाता
जैसे कई शहरों में सेंट्रल को तेजी से
एक्सपेंड किया जाने लगा 2006 में अपनी सभी
कंपनीज को इफेक्टिवली मैनेज करने के लिए
किशोर बियानी ने एक अंब्रेला कंपनी की
शुरुआत की और उसका नाम रखा फ्यूचर ग्रुप
पैंटालूंस बिग बाजार और सेंट्रल जैसे
बिजनेसेस और हजारों करोड़ों के रेवेन्यू
के चलते फ्यूचर ग्रुप इंडियन कॉरपोरेट
स्पेस का जाइंट बन चुका था और किशोर
बियानी इंडिय रिटेल इंडस्ट्री के
अनडिस्प्यूटेड जार की पोजीशन पे थे लेकिन
अब उनकी कहानी में एक बहुत बड़े और लंबे
डाउनफॉल की शुरुआत होने वाली थी किशोर
बियानी का कहना था कि वह ऐसे हर एक बिजनेस
में एंटर करके रहेंगे जहां बिजनेस और
कस्टमर के बीच डायरेक्ट डीलिंग होती हो और
उनकी इसी फिलॉसफी से उनका डाउनफॉल हुआ
2005 में उन्होंने एक के बाद एक तीन अपैरल
ब्रांड्स को खरीद लिया साथ ही साथ वो
अलग-अलग एरियाज में डायवर्सिफाई करने लगे
जैसे 2005 में ही उन्होंने ऑल यानी अ
लिटिल लार्जर की शुरुआत की ये ब्रांड प्लस
साइज क्लोथ्स बेचता था फिर उन्होंने बिग
बाजार के अंदर गोल्ड बेचने के लिए गोल्ड
बाजार की शुरुआत की घर बनाने और रिनोवेट
करने के लिए होम टाउन ब्रांड की शुरुआत की
2006 में बुक्स बेचने के लिए डिपो को
स्टार्ट किया इवन चाय और समोसा बेचने के
लिए चमो सा नाम के कियॉस्क स्टार्ट कर दिए
बेसिकली चाय के बिजनेस से लेकर एक पूरे घर
बनाने के बिजनेस तक किशोर बियानी हर जगह
मौजूद थे लेकिन ये तो केवल शुरुआत थी 2007
में उन्होंने फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स की
शुरुआत की और फाइनेंशियल सर्विसेस जैसे
वेल्थ मैनेजमेंट और रियल स्टेट ब्रोकिंग
में एंट्री ले ली साथ ही साथ फ्यूचर जनरली
इंश्योरेंस कंपनी खोल के लाइफ इंश्योरेंस
और जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री में भी
एंट्री ले ली बाहर से देखने में लग रहा था
कि फ्यूचर ग्रुप का बिजनेस एंपायर काफी
बड़ा और सक्सेसफुल हो चुका है लेकिन इतनी
तेजी से इतना ज्यादा एक्सपेंशन उन्होंने
अपने खुद के पैसे से नहीं किया था इस
एक्सपेंशन के लिए उन्होंने हजारों करोड़ों
का कर्ज यानी डेट लिया था उन्हें उम्मीद
थी कि वो स्ट्रांग सेल्स के बलबूते इस डेट
को मैनेज कर लेंगे लेकिन फिर 2008 में आया
ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस कंज्यूमर
स्पेंडिंग घट गई और फ्यूचर ग्रुप की सेल्स
क्रैश कर गई केवल बिजनेस को सस्टेन करने
के लिए किशोर बियानी को और भी ज्यादा डेट
लेना पड़ा 2012 तक उनके ऊपर करीब 12000
करोड़ का डेट चढ़ चुका था और उनके लिए
इसका इंटरेस्ट पे करना भी मुश्किल हो रहा
था इसीलिए किशोर बियानी को दिल पे पत्थर
रखकर पैटल को 1600 करोड़ में बेचना पड़ा
साथ ही साथ फ्यूचर कैपिटल भी 4250 करोड़
में बिक गया किशोर बियानी की सबसे बड़ी
प्रॉब्लम यह थी कि उन्होंने दूसरे
बिजनेसेस में एक्सपेंड करने से पहले अपने
किसी भी एक बिजनेस को मैसिवली प्रॉफिटेबल
नहीं बनाया और एक क्राइसिस से डील करने के
लिए सफिशिएंट कैश रिजर्व्स भी मेंटेन नहीं
किए और इसीलिए उन्हें अपना एक ऐसा बिजनेस
बेचना पड़ा जो उनके दिल के सबसे ज्यादा
करीब था ऐसी सिचुएशन को अपनी लाइफ
एफडी करिए किशोर बियानी को लगा कि पैंटल
और फ्यूचर कैपिटल को बेच के जो पैसा आया
है उससे उनकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएंगी
लेकिन फिर कहानी में एंट्री होती है दो
बहुत बड़े कंपीटीटर्स की
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लिया था और अब उनसे कंपीट करना इंपॉसिबल
था साथ ही साथ बिग बाजार डायरेक्ट में कई
टेक्निकल इश्यूज कस्टमर एक्सपीरियंस
प्रॉब्लम्स और इन्वेंटरी इश्यूज भी थे और
इन्हीं कारणों से बिग बाजार डायरेक्ट एक
बहुत बड़ा फेलियर साबित हुआ और फ्यूचर
ग्रुप के करोड़ों रुपए डूब गए लेकिन शायद
किशोर बियानी की सबसे बड़ी गलती थी इंडिया
के किराना दुकानदारों से कंपीट करना
उन्होंने 2015 में इजी डे नाम की स्मॉल
फॉर्मेट ग्रोसरी स्टोर चेन को एक्वायर कर
लिया था उस समय इजी डे की 190 स्टोर्स थी
और और किशोर चाहते थे कि 2022 तक वो इसकी
10000 स्टोर्स खोल दें और इंडियन किराना
शॉप्स को रिप्लेस कर दें 2018 तक हजार
स्टोर्स खुल भी चुकी थी किराना स्टोर्स को
बीट करने के लिए किशोर बियानी ने इजी डे
क्लब नाम का एक मेंबरशिप प्लान लॉन्च किया
था जिसमें साल के 000 देके एक कस्टमर पूरे
साल हर परचेस पे इजी डे से 10 पर
डिस्काउंट ले सकता था लेकिन उनका यह मॉडल
बुरी तरह फेल हो गया सबसे पहले तो इंडियन
कस्टमर फ्यूचर में मिलने वाले डिस्काउंट
के लिए पहले से पैसे नहीं नहीं देना चाहता
था आल्सो लोकल किराना स्टोर्स तो 10-15 पर
डिस्काउंट बिना किसी सब्सक्रिप्शन फी के
ही दे देते थे सेकंड किराना दुकानदार
हमेशा लोकल पॉपुलेशन के साथ पर्सनलाइज्ड
रिलेशनशिप्स बना के चलते हैं वो लोग फ्री
होम डिलीवरी और उधार में भी सामान दे देते
हैं लेकिन ये सारी चीजें इजी डे मैच नहीं
कर पा रहा था फाइनली जहां किराना स्टोर्स
का स्टाफ रेंट और टेक्नोलॉजी वगैरह का
खर्च ना के बराबर था वहीं इजी डे को इन सब
पे बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता था इसीलिए
अल्टीमेटली इजी डे को भारी लॉसेस होने लगे
और 2020 तक कई स्टोर्स में ताला लग गया
लेकिन फ्यूचर ग्रुप की गलतियां यहां खत्म
नहीं होती किशोर बियानी ने देखा कि उनकी
बिग बाजार और बाकी स्टोर्स के थ्रू दूसरी
ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट्स बेच के करोड़ों
का प्रॉफिट कमा रही हैं उन्होंने सोचा कि
अगर सबसे ज्यादा बिकने वाले आइटम्स के लिए
वो अपने खुद के ब्रांड के प्रोडक्ट्स
लॉन्च कर दें तो उन्हें बहुत फायदा होगा
इसीलिए उन्होंने हर कैटेगरी जैसे स्नैक्स
होम केयर पर्सनल केयर और स्टेपल्स में
अपने खुद के ब्रांड के प्रोडक्ट्स लॉन्च
कर दिए उनका प्लान था 2022 तक इन ब्रांड
से 20000 करोड़ का रेवेन्यू कमाना लेकिन
इनके ऑलमोस्ट सभी ब्रांड्स बुरी तरह से
फ्लॉप हो गए उन्हें लगा था कि केवल शेल्फ
में रख देने से उनके प्रोडक्ट्स बिकने
लगेंगे लेकिन कस्टमर्स को अभी भी उन्हीं
ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स खरीदने थे जिन पे
वो सालों से भरोसा करते थे आल्सो फ्यूचर
ग्रुप के ब्रांड्स ने पुराने एस्टेब्लिश
ब्रांड से कुछ भी अलग नहीं किया था वो
केवल डिस्काउंट्स के बलबूते ही सेल्स
बढ़ाना चाहते थे और डिस्काउंट्स के कारण
कस्टमर ने एक बार तो प्रोडक्ट को ट्राई
किया लेकिन क्वालिटी खराब होने के कारण
रिपीट परचेसेस नहीं किए इन सभी गलतियों के
कारण फ्यूचर ग्रुप का बहुत पैसा डूब गया
और मार्च 2019 तक उनका डेट फिर से बढ़कर
करीब 12800 करोड़ तक पहुंच चुका था लेकिन
इन सबके बाद भी फ्यूचर ग्रुप जैसे-तैसे
सरवाइव कर रहा था कि तभी कुछ ऐसा हुआ
जिसने फ्यूचर ग्रुप को जड़ से हिला दिया
कोविड-19 जल्द ही नेशन वाइड लॉकडाउन
अनाउंस कर दिया गया और फ्यूचर ग्रुप की
बिग बाजार सेंट्रल और बाकी सभी स्टोर्स
रातों-रात बंद हो गई उनका रेवेन्यू क्रैश
कर गया स्टोर्स का रेंट एंप्लॉयज की सैलरी
और डेट की रीपेमेंट डिले हो गई रेंट
पेमेंट ना करने के कारण बिग बाजार और बाकी
स्टोर्स की लोकेशन किशोर बियानी के हाथ से
छीनने लगी और ये स्टोर्स बंद होने लगी आज
इनमें से करीब 800 लोकेशंस पे
reliance1 में बैंक ऑफ इंडिया ने फ्यूचर
ग्रुप पे इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स की
मांग की और आज तक ये प्रोसीडिंग्स चल रही
हैं मतलब आज भी फ्यूचर ग्रुप के एसेट्स को
एक-एक करके बेचकर उनका डेट चुकाया जा रहा
है इसमें कोई डाउट नहीं है कि किशोर
बियानी बिजनेस के जीनियस थे उन्होंने
पैंटल बिग बाजार और सेंट्रल जैसे बिजनेसेस
बनाए जिसने इंडियन रिटेल इंडस्ट्री को
रिवोल्यूशन इज किया और उन्हें इंडिया का
रिटेल किंग भी बनाया लेकिन इसके बाद
उन्होंने अपना फोकस खो दिया और तेजी से हर
जगह एक्सपेंड करने के लिए हजारों करोड़ों
का डेट ले लिया जैसे ही मार्केट कंडीशंस
बिगड़ी और पेंडम आया उनका बिजनेस एंपायर
क्रंबल कर गया बिल्कुल एक रेत के किले की