अब हम में से ज्यादातर लोग यह सोचते हैं
कि इंडिया को एक ग्लोबल पावर बनाने के
पीछे प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी जी का
हाथ है लेकिन यह पूरा सच नहीं है क्योंकि
वर्ल्ड स्टेज पर अगर इंडिया को पहचान
दिलाने में सबसे इंपॉर्टेंट रोल अगर किसी
ने प्ले किया है तो वह है फॉरेन मिनिस्टर
डॉ एस जयशंकर जी लेकिन दोस्तों अगर आप
जयशंकर जी को कोई नेता समझ रहे हैं ना तो
जरा रुकिए क्योंकि गवर्नमेंट की सबसे हाई
प्रोफाइल मिनिस्ट्री उन्हें सिर्फ और
सिर्फ उनके काबिलियत के दम पर सौंपी गई है
इसीलिए तो उन्हें आपने इससे पहले कभी भी
किसी पॉलिटिकल पार्टी के साथ में काम करते
हुए नहीं देखा होगा और हां क्या आपको पता
है हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चाइना
भी इनकी रिस्पेक्ट करते हैं लेकिन ऐसा
क्यों सब कुछ डिटेल में जानेंगे आज के इस

में अब दोस्तों वैसे तो सुब्रह्मण्यम
जयशंकर जी की फैमिली तमिलनाडु से बिलोंग
करती थी लेकिन काम के सिलसिले में उन्हें
ल्ली शिफ्ट होना पड़ा और वहीं ल्ली में ही
9 जनवरी 1955 को उनका जन्म हुआ था बड़े
होकर जयशंकर जी ने न्यू से इंटरनेशनल
रिलेशंस और न्यूक्लियर डिप्लोमेसी में एमए
एमफी और पीएचडी किया और यह डिग्रीज उनके
और भारत के लिए आगे चलकर बहुत काम आई वैसे
जयशंकर जी के शानदार स्किल्स उनके कॉलेज
के टाइम से ही देखने को मिलने लगे थे
क्योंकि स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशंस में वह
बड़े से बड़े प्रॉब्लम्स को भी चुटकियों
में सॉल्व कर देते थे पीएचडी करने के बाद
से 1977 में जयशंकर ने इंडियन फॉरेन
सर्विस यानी कि आईएफएस जवाइन करके ऑफिशियल
अपना डिप्लोमेसी करियर स्टार्ट किया अपने
करियर के के शुरुआती 20 सालों में
उन्होंने इंडिया के अब्रॉड मिशंस के तहत
काफी सारे देशों जैसे मॉस्को श्रीलंका
बुडापेस्ट हंगरी और जापान में अलग-अलग
पोजीशंस पर काम करते हुए अपने स्किल्स को
निखारा और अब टाइम आ चुका था कुछ बड़ा
करने
का जयशंकर जी 2004 से 2007 तक वाशिंगटन
डीसी में भारत के राजदूत के तौर पर काम
करते हुए इंडिया और यूएस के बीच सिविल
न्यूक्लियर एग्रीमेंट सक्सेसफुली साइन
करवाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई जो कि
भारत के लिए एक बड़ी अचीवमेंट थी लेकिन यह
काम इतना आसान नहीं था इसके पीछे जयशंकर
जी को काफी पापड़ बेलने पड़े थे एक्चुअली
बात यह है कि उस टाइम पर यूएस नॉन
प्रोलिफिक न्यूक्लियर वेपन का
डिस्ट्रीब्यूशन कंट्रोल करने वाली पॉलिसी
को स्ट्रिक्टली फॉलो करता था लेकिन इंडिया
ने 1974 और 1998 में बिना एनपीटी साइन किए
ही इस पॉलिसी के अगेंस्ट जाकर न्यूक्लियर
टेस्ट कंडक्ट किए थे जो कि इनके नियमों का
उल्लंघन था एक्चुअली न्यूक्लियर नॉन
प्रोलिफ्ट री एक ऐसी इंटरनेशनल टेरिटरी है
जिसका काम है न्यूक्लियर वेपंस के
स्प्रेड्स को रोककर दुनिया में शांति कायम
करना लेकिन इंडिया ने चूंकि उनके नियम को
तोड़ा था इसीलिए यूएस इंडिया के साथ
न्यूक्लियर एग्रीमेंट साइन नहीं करना
चाहता था इसके अलावा काफी सारे लॉ मेकर्स
और एडवोकेट भी इस डील के खिलाफ थे हालांकि
इतने सारे दिक्कतों के बाद भी डॉ जयशंकर
ने हार नहीं मानी उन्होंने ऐसी अनोखी
स्ट्रेटेजी बनाई ये यूएस को इस डील के लिए
मानना ही पड़ा असल में जयशंकर जी उस समय
पर यूएस में एक इंडियन एंबेसडर के रोल में
काम कर रहे थे और इसी रोल की वजह से ही
उनको यूएस के पॉलिसी मेकर से बात करके
उनके डील रिलेटेड प्रॉब्लम्स को सॉल्व
करने का मौका मिल गया जयशंकर जी ने पॉलिसी
मेकर्स को समझाते हुए कहा कि इस डील के
बाद से यूएस इंडिया रिलेशंस स्ट्रांग
होंगे जिससे टेररिज्म को भी अच्छे से
काउंटर किया जा सकेगा उन्होंने कहा कि
भारत न्यूक्लियर वेपंस का डिस्ट्रीब्यूशन
बस अपने तक ही रखेगा और हां जयशंकर जी ने
तो यह भी दावा किया कि इंडिया की एनर्जी
नीड्स दिन प्रतिदिन काफी तेजी से बढ़ रही
है और इंडिया अब और फॉसिल फ्यूल यूज़ करके
ग्लोबल एनवायरमेंट की तबाही नहीं चाहता
इसीलिए अगर इस डील को साइन कर लिया गया तो
फिर ग्लोबल वार्मिंग को भी काफी हद तक कम
किया जा सकता है और दोस्तों कुछ इसी तरह
के हजारों कोशिशों के बाद फाइनली यूएस
2008 में न्यूक्लियर डील साइन करने के लिए
रेडी हो गया इस डील के बाद से इंडिया अब
इंटरनेशनल मार्केट से न्यूक्लियर फ्यूल और
टेक्नोलॉजी खरीद सकता था जिससे इंडिया का
फॉसिल फ्यूल से डिपेंडेंसी हटके
न्यूक्लियर फ्यूल पे आ गया था जो कि
एनवायरमेंट के लिए एक अच्छी साइन थी इस
बड़ी जीत के बाद उनका पोस्टिंग सिंगापुर
में हो गया जहां जयशंकर जी ने अगले 2
सालों तक एज अ हाई कमिश्नर काम किया इसके
बाद 2009 से 2013 तक जयशंकर जी चाइना में
भारतीय एंबेसडर के तौर पर काम करने लगे और
अपने इन 4 साल के कार्यकाल के दौरान
उन्होंने इंडिया चाइना बॉर्डर इश्यूज को
सॉल्व करने में कई महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाई दोस्तों चाइना में काम करने के
दौरान ही 2012 में गुजरात रात के सीएम
नरेंद्र मोदी के साथ एस जयशंकर का मिलना
हुआ एक्चुअली जब मोदी जी अपने चाइना विजिट
के लिए गए थे तब चाइना में कई सारे
महत्त्वपूर्ण लोगों के साथ मीटिंग शेड्यूल
करने में भी जयशंकर जी ने पूरा साथ दिया
था वैसे आपको याद दिलाते चलें कि इस टाइम
पर मोदी जी कोई बहुत बड़े ग्लोबल लीडर
नहीं थे यहां तक कि कुछ सालों पहले ही
यानी 2005 में उन्हें यूएस ने वीजा देने
से ही इंकार कर दिया था एस जयशंकर के साथ
समय बिताने के बाद मोदी जी उनके काम से
इतने इन्फ्लुएंस हुए थे कि आगे चलकर
जयशंकर जी को गवर्नमेंट की एक बड़ी
मिनिस्ट्री सौंप दी गई जिसके बारे में हम
वीडियो में आगे बात करेंगे खैर अपने इन
चार सालों में जयशंकर जी ने चाइना के
सीक्रेट मैटर्स को इतनी अच्छी तरह से समझ
लिया था कि बाद में हुए मेजर इंडोचाइना
डिस्प्यूट्स को भी उन्होंने बहुत ही आसानी
से सॉल्व कर लिया एग्जांपल के लिए 2017
में हुए डोकलाम बॉर्डर इशू को ले लेते
[संगीत]
हैं एक्चुअली 20177 में चाइना डोकलाम रीजन
में रोड बनाना चाहता था लेकिन इंडियन
आर्मी ने इस कंस्ट्रक्शन को होने से रोक
दिया था और वो इसलिए क्योंकि डोकलाम एरिया
एक ट्राई जंक्शन एरिया है यानी कि यहां
इंडिया भूटान और चाइना के बॉर्डर हैं और
एक बार उस पर चाइना ने अगर रोड बना लिया
तो इसमें भूटान का कुछ टेरिटरी चाइना के
कब्जे में तो हो ही जाता साथ ही साथ
इंडिया के सिलगुरी कॉरिडोर जिसको इंडिया
का चिकन स्नेक भी कहते हैं उस पर हमेशा
खतरा मंडराते रहता और दोस्तों चाइना के
साथ वॉर में सिलिगुरी कॉरिडोर लूज करने का
मतलब है पूरी नॉर्थ ईस्ट से हाथ धोना और
इंडिया अपने जमीन का एक भी टुकड़ा किसी को
क्यों ही भी देना चाहेगा इस सीरियस बॉर्डर
इशू को सॉल्व करने के लिए एस जयशंकर ने
सबसे पहले ट्रायलेट डिप्लोमेसी कंडक्ट
किया जिसमें जयशंकर ने भूटान और चाइना
ऑफिशियल के साथ में बातचीत करनी शुरू की
इसी बातचीत के दौरान ही एस जयशंकर ने
भूटान की टेरिट्री को प्रोटेक्ट करने का
वादा भी किया था जयशंकर की बातों से
चाइनीज ऑफिशियल बहुत इन्फ्लुएंस हुए और एक
सीनियर ऑफिसर ने तो यहां तक कह दिया कि
जयशंकर एक डिप्लोमेट की तरह नहीं बल्कि
सोल्जर की तरह बात करते हैं और दोस्तों
जयशंकर कर के इन्हीं एफर्ट से ही चाइना ने
अपनी आर्मी को पीछे खींचने के साथ-साथ
डोकलाम रीजन में रोड कंस्ट्रक्शन का भी
काम रोक दिया यहां जयशंकर जी की ग्रेट
नेगोशिएशन स्किल्स की तारीफ खुद दुश्मन
देश की आर्मी करती हुई दिखाई दी और यह
जयशंकर जी की ही नहीं बल्कि पूरी इंडिया
की जीत थी खैर जैसा कि हम जानते ही हैं कि
कुत्ते की पूंछ हजार सालों तक एक सीधी
पाइप में रखने के बाद भी टेढ़े की टेढ़े
ही रहती है वैसे ही कुत्ते की पूंछ की तरह
ही चाइना भी अपने हरकतों से बाज नहीं आता
चा ना ने फिर से 2020 में एक वायलेंट
बॉर्डर इशू कर दिया जिसको हम लद्दाख
बॉर्डर टेंशन के नाम से जानते हैं असल में
जून 2020 में चाइनीज आर्मी लद्दाख के
गलवान वैली में घुसकर इंडियन आर्मी पर
अटैक कर देते हैं यहां पर इंडिया और चाइना
के बीच में वायलेंट बैटल हुआ जिसमें दोनों
साइड्स के काफी सारे सोल्जर्स की मौत हुई
इस बॉर्डर इशू को सॉल्व करने के लिए फिर
से जयशंकर आगे आते हैं और इस बार जयशंकर
जी ने बॉर्डर टेंशंस को कम करने के लिए
डायरेक्टली चाइना के फॉरेन मिनिस्टर वंग ई
से बात की और साथ ही चाइना से फाइव पॉइंट
एग्रीमेंट भी साइन करवाया जिसमें साफ-साफ
लिखा था कि चाइना अभी तक हुए सभी
इंडोचाइना एग्रीमेंट एंड प्रोटोकॉल्स को
मानेगा और फिर कभी भी अगर बॉर्डर टेंशन
हुई तो उसे बातचीत से सॉल्व करेगा ना कि
अटैक से जयशंकर जी यही नहीं रुके उन्होंने
इस मुद्दे को इंटरनेशनल फोरम्स में भी
उठाया और इंटरनेशनल सपोर्ट से इस टेंशन को
कम करने में हेल्प मिला और दोस्तों जयशंकर
जी के इन्हीं प्रयासों की वजह से ही 2021
में चाइना ने एलएसी के पास से अपनी आदमी
को पीछे खींच लिया था अब दोस्तों अगर
थोड़ा पीछे आए तो 2014 में इंडिया के जनरल
इलेक्शन में बीजेपी मेजॉरिटी से जीत जाती
है और नरेंद्र मोदी इंडिया के प्राइम
मिनिस्टर बनते हैं अब जैसा कि हमने आपको
पहले भी बताया कि डॉ जयशंकर मोदी जी की
नजरों में चढ़ गए थे इसीलिए अब प्राइम
मिनिस्टर बनने के बाद मोदी जी ने जयशंकर
को यूएस से इंडिया बुला लिया भारत बुलाकर
जयशंकर को अगले 2 सालों के लिए फॉरेन
सेक्रेटरी का पोस्ट दिया गया और फिर उनके
अच्छे काम को देखते हुए उनका यह टेनोर एक
साल और बढ़ा दिया गया यानी कि एस जयशंकर
2015 से 2018 तक एज अ फॉरेन सेक्रेटरी ऑफ
इंडिया काम किए और इन 3 साल के टाइम फ्रेम
में उन्होंने यूएस रशिया और जापान जैसे
पावरफुल कंट्रीज के साथ संबंध मजबूत किए
और इसके साथ ही इंडिया के हित में कई सारी
बेहतरीन पॉलिसीज बनाई हालांकि उन बेहतरीन
पॉलिसीज को बनाने का श्रेय उन्हें नहीं
बल्कि उस टाइम की फॉरेन मिनिस्टर को मिला
क्योंकि वह सामने आकर इसकी मार्केटिंग जो
किया करती थी अपने 3 साल का फॉरेन
सेक्रेटरी रोल खत्म में होने के बाद
जयशंकर को टाटा ग्रुप की तरफ से ग्लोबल
कॉरपोरेट अफेयर्स के प्रेसिडेंट का रोल
ऑफर किया गया और यहां भी उन्होंने कंपनी
के लिए बहुत बड़े-बड़े काम किए अब दोस्तों
साल 2019 आ गया जिसमें जनरल इलेक्शन होने
थे और इस बार भी बीजेपी फुल मेजॉरिटी के
साथ इलेक्शन जीत गई और एक बार फिर से
नरेंद्र मोदी प्राइम मिनिस्टर बनाए गए
इलेक्शन जीतते ही मोदी जी ने डॉ जयशंकर को
गुजरात से टिकट दिलाया और उनको इंडिया का
फॉरेन मिनिस्टर बना दिया बिना किसी
पॉलिटिकल बैकग्राउंड के सिर्फ और सिर्फ
उनके मेरिट्ज के दम पर अपने 5 साल के
फॉरेन मिनिस्टर के टेनर में जयशंकर ने
काफी सारे इन्फ्लुएंस पॉलिसीज बनाए जिसने
इंडिया का इमेज वर्ल्ड स्टेज पर बदल कर रख
दिया 2019 से 2024 के बीच ही जयशंकर जी का
असली पोटेंशियल बाहर निकल कर आया और यही
टाइम था जिसमें पाकिस्तान के फॉर्मर पीएम
ने भी जयशंकर जी की तारीफों के पुल बाधे
अब कब और क्यों तारीफ की यह जानने से पहले
70 सालों से कॉन्फ्लेट में रही कश्मीर को
कैसे जयशंकर जी ने अपनी स्ट्रेटेजी से
आजाद कराने में इंडियन गवर्नमेंट की
पूरी-पूरी मदद की चलिए वो जान लेते हैं
एक्चुअली जम्मू एंड कश्मीर से आर्टिकल 370
को हटाना इंडियन गवर्नमेंट के लिए बहुत
बड़ा चैलेंज था क्योंकि इंटरनेशनल प्रेशर
इतना ज्यादा था इसीलिए जयशंकर जी ने
दुनिया के सुपर पावर देशों में जाकर अपना
पॉइंट स्ट्रंग रखा कि कश्मीर इंडिया का
इंटरनल मैटर है और वो इसमें इंटरफेयर ना
करें दुनिया के सुपर पावर देशों को
कन्वेंस करने के बाद से इंडियन गवर्नमेंट
ने आर्टिकल 370 हटा दिया और उसके बाद से
कश्मीर में ना तो कोई दंगा हुआ और ना ही
कोई इंटरनेशनल इंटरफेरेंस चलिए अब फाइनली
हम बात कर लेते हैं कि क्यों और कब
पाकिस्तान के फॉर्मर पीएम न ने डॉ जयशंकर
की तारीफ की थी एक्चुअली बात थी 24 फरवरी
2022 की जब रशिया ने यूक्रेन पर अटैक कर
दिया था और यह अटैक कोई छोटा-मोटा अटैक
नहीं था इंटरनेशनल मीडिया कहती है कि यह
वर्ल्ड वॉर 2 के बाद से यूरोप पर होने
वाला पहला बड़ा अटैक था जिसमें हजारों
लोगों की जान चली गई रशिया के इस बिहेवियर
को देखते हुए यूएस ने रशिया पर कई सारे
सैंक्शंस यानी कि प्रतिबंध लगा दिया आसान
शब्दों में कहा जाए तो रशिया के साथ कोई
भी देश बिजनेस नहीं कर सकता था और जो देश
करेगा उससे भी यूएस के संबंध खराब हो जाते
यूएस के इस डिसीजन से दुनिया में ऑयल का
प्राइस आसमान छूने लगा क्योंकि रशिया
दुनिया में ऑयल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर
है अब जैसा कि आप जानते हैं कि कई सारी
चीजें डायरेक्टली और इनडायरेक्टली ऑयल पर
ही डिपेंडेंट होती हैं इसलिए ऑयल का
प्राइस बढ़ने के साथ ही दुनिया में
इंफ्लेशन यानी कि महंगाई भी बढ़ने लगी और
भारत में इसी बढ़ती महंगाई को रोकने के
लिए इंडिया ने स्मार्ट कदम उठाया जिसमें
डॉ जयशंकर का बड़ा हाथ था जैसे कि इंडिया
ने रशिया यूक्रेन कॉन्फ्लेट में किसी का
भी साइड ना लेने का चूज किया जिसकी वजह से
इंडिया रशिया और वेस्टर्न वर्ल्ड से अपनी
अच्छी रिलेशन को मेंटेन कर पाया इतना ही
नहीं जब यूएस रशिया के अगेंस्ट रेजोल्यूशन
पास कर रहा था तब भी इंडिया ने वोट नहीं
डाला जो कि बाद में जाकर इंडिया का
समझदारी वाला डिप्लोमेसी अप्रोच साबित हुआ
इसके साथ ही जयशंकर के द्वारा बनाई गई
ऑपरेशन गंगा के तहत इंडिया ने सक्सेसफुली
22500 से भी ज्यादा इंडियन सिटीजंस को
यूक्रेन से निकाला और कुछ पाकिस्तानी
स्टूडेंट्स को भी रेस्क्यू किया इसके
अलावा इंडिया ने न्यूट्रल स्टैंड लेने के
बावजूद भी यूक्रेन में मेडिकल सप्लाईज और
एसेंशियल गुड्स भी सप्लाई किया और यह
दिखाता है कि इंडिया में मानवता अभी भी
जिंदा है खैर यूएस के रशिया पर सैंक्शंस
लगने के बाद भी इंडिया ने रशिया से ऑयल
खरीदना बंद नहीं किया और फिर जब वेस्टर्न
कंट्रीज ने इंडिया से इस पर सफाई मांगी तो
फिर आगे से डॉक्टर जयशंकर ने उनको समझाते
हुए कहा कि इंडिया की ह्यूज पॉपुलेशन को
सस्ते ऑयल की जरूरत है जिसकी वजह से और भी
कई सारी चीजें सस्ती होंगी और इंडिया में
इंफ्लेशन कंट्रोल में रहेगा और दोस्तों इस
इवेंट के कुछ समय के बाद जयशंकर ने मीडिया
एं ट्रैक्शन के दौरान एक ऐसा आइकॉनिक बयान
दिया जिससे पूरे यूरोपीय देशों को साफ सुं
गया आप खुद ही देखो और सुन लीजिए यूरोप
हैज टू ग्रो आउट ऑफ द
माइंडसेट दैट यूरोप प्रॉब्लम द वर्ड
प्रॉब्लम बट द वर्ल्ड प्रॉब्लम आ नट रो
प्रॉब्लम इस वीडियो के कुछ ही महीनों बाद
इमरान खान ने भी जयशंकर के इस बयान की
तारीफ की ना मैं जिनको समझ नहीं आई मैं
समझाऊ यह फॉरेन मिनिस्टर को उन्होंने कहा
कि रूस से तेल ना खरीदो उसने आगे से कहा
तुम कौन होते हो मैं कहने वाले यूरोप खरीद
रहा है तेल
उनसे हमारे लोगों की जरूरत है हम खरीदेंगे
यह होता आजाद
मुल्क और दोस्तों कुछ ऐसे ही एस जयशंकर ने
अपने 5 सालों के विदेश मंत्री के रोल में
बड़ी-बड़ी पॉलिसीज बनाकर भारत को वर्ल्ड
स्टेज पर एक नई पहचान दिलाई और इसी वजह से
आज वह भारत के सबसे महान फॉर्मर मिनिस्टर
बन पाए हैं इसीलिए मोदी जी के तीसरे
कार्यकाल में भी उन्हें सेम पोस्ट दिया
गया है अब देखना ही होगा कि आगे एस जयशंकर
जी क्या-क्या कमाल दिखाते हैं वैसे चाणक्य
ने एक बहुत बड़ी बात कही थी कि जब भी कोई
राजा वॉर जीते तो पूरा श्रेय राजा को जाता
लेकिन जीत के पीछे असल हाथ राजा के
मंत्रियों का होता है इसीलिए राजा के साथ
इनको भी बराबर का श्रेय और सम्मान मिलना
चाहिए और दोस्तों इन्हीं लाइंस ने ही मुझे
एस जयशंकर के लाइफ को आप लोगों के सामने
लाने के लिए मोटिवेट किया